सुधारित नागरिकत्व कायद्यावरून झालेला वाद आणि त्यानंतर आता जेएनयू विद्यापीठ संकुलात झालेली तोडफोड या घटनांमुळे देशातील वातावरण तापले आहे. सामान्यांपासून सेलिब्रिटींपर्यंत अनेकजण सोशल मीडियावर व्यक्त होत आहेत, काहीजण संताप व्यक्त करत आहेत. अशातच गीतलेखन, दिग्दर्शन, अभिनय, गायन अशी मुशाफिरी करणारे स्वानंद किरकिरे यांनी इन्स्टाग्राम अकाऊंटवर सध्याच्या परिस्थितीवर मनाला भिडणारी कविता लिहिली आहे.

 

Uddhav Thackeray on PM Narendra Modi
“आधी मणिपूर ‘सेफ’ करा आणि मग…”; उद्धव ठाकरेंच्या शिवसेनेचं मोदी सरकारवर टीकास्र!
Nana Patole On Devendra Fadnavis :
Nana Patole : निकालाआधी राजकीय घडामोडींना वेग; यातच…
Liquor and fish stocks seized in Bhayander news
मतदारांना आमिषे दाखविण्यास सुरवात; भाईंदरमध्ये मद्य आणि मासळाची साठा जप्त
Nishigandha Wad
हिंदी मालिकेच्या सेटवर निशिगंधा वाड यांचा अपघात; तातडीने रुग्णालयात केलं दाखल
Poetess Ushatai Mehta believed she only wrote poetry but discovered she also wrote prose
बहारदार शैलीचा कॅनव्हास
diljit dossanj back a girl who cried in concert
Video : दिलजीत दोसांझच्या कॉन्सर्टमध्ये रडल्याने तरुणी झाली ट्रोल, गायक बाजू घेत म्हणाला, “तुम्ही देशाच्या…”
Loksatta chaturang article English playwright Christopher Marlowe Dr Faust plays journey of life
मनातलं कागदावर : स्वर्ग की नरक?
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मार लो डंडे कर लो दमन मैं फिर फिर लड़ने को पेश हूँ हिदुस्तान कहते है मुझे मैं गांधी का देश हूँ !! तुम नफरत नफरत बांटोगे मैं प्यार ही प्यार तुम्हे दूंगा तुम मारने हाथ उठाओगे मैं बाहों में तुम्हे भर लूंगा तुम आवेश की गंगा हो क्या ? तो सुनो मैं शिव शम्भो के केश हूँ हिंदुस्तान कहते हैं मुझे मैं गांधी का देश हूँ जिस सोच को मारने खातिर तुम हर एक खुपड़िया खोलोगे वो सोच तुम्ही को बदल देगी एक दिन शुक्रिया बोलोगे मैं कई धर्म कई चहरे कई रंग रूप पहचान लो मुझे कई भेष हूँ हिंदुस्तान कहते हैं मुझे मैं गांधी का देश हूँ मैं भाषा भाषा में रहता हूँ में धर्म धर्म में बहता हूँ कुछ कहते हैं मुझे फिक्र नहीं मैं अपनी मस्ती में जीता हूँ मुझ पर एक इलज़ाम भी है मैं सोया सोया रहता हूं पर जब जब जागा हूँ सुन लो इंक़लाब मैंने लाये मेरे आगे कितने ज़ालिम सब सारे गये आये मैं अड़ जो गया हटूंगा नहीं चाहे मार लो डंडे उठूँगा नहीं मैं सड़क पे बैठी भैंस हूँ हिंदुस्तान कहते हैं मुझे मैं गांधी का देश हूँ मैं खुसरो की कव्वाली मैं तुलसी की चौपाई बुद्ध की मुस्कान हूँ मैं बिस्मिल्लाह की शहनाई मैं गिरजे का ऑर्गन हूँ जहां सब मिल जुल कर खेलते हैं मैं वो नानी घर का आँगन हूँ मैं संविधान की किताब हूँ मैं आंबेडकर का न्याय हूँ मैं नफरतो का उपाय हूँ मैं जितना पुराना हूँ हां सुनो उससे ज़्यादा शेष हूँ हिन्दुस्तान कहते हैं मुझे मैं गांधी का देश हूँ

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स्वानंद किरकिरेंची कविता-

मार लो डंडे
कर लो दमन
मैं फिर फिर लड़ने को पेश हूँ हिदुस्तान कहते है मुझे
मैं गांधी का देश हूँ !! तुम नफरत नफरत बांटोगे
मैं प्यार ही प्यार तुम्हे दूंगा
तुम मारने हाथ उठाओगे
मैं बाहों में तुम्हे भर लूंगा
तुम आवेश की गंगा हो क्या ?
तो सुनो
मैं शिव शम्भो के केश हूँ हिंदुस्तान कहते हैं मुझे
मैं गांधी का देश हूँ जिस सोच को मारने खातिर तुम
हर एक खुपड़िया खोलोगे
वो सोच तुम्ही को बदल देगी
एक दिन शुक्रिया बोलोगे
मैं कई धर्म
कई चहरे
कई रंग रूप
पहचान लो मुझे
कई भेष हूँ हिंदुस्तान कहते हैं मुझे
मैं गांधी का देश हूँ मैं भाषा भाषा में रहता हूँ में धर्म धर्म में बहता हूँ कुछ कहते हैं मुझे फिक्र नहीं मैं अपनी मस्ती में जीता हूँ मुझ पर एक इलज़ाम भी है
मैं सोया सोया रहता हूं पर जब जब जागा हूँ सुन लो
इंक़लाब मैंने लाये
मेरे आगे कितने ज़ालिम
सब सारे गये आये
मैं अड़ जो गया
हटूंगा नहीं चाहे मार लो डंडे
उठूँगा नहीं मैं सड़क पे
बैठी भैंस हूँ हिंदुस्तान कहते हैं मुझे
मैं गांधी का देश हूँ मैं खुसरो की कव्वाली
मैं तुलसी की चौपाई
बुद्ध की मुस्कान हूँ मैं बिस्मिल्लाह की शहनाई
मैं गिरजे का ऑर्गन हूँ जहां सब मिल जुल कर खेलते हैं मैं वो नानी घर का आँगन हूँ मैं संविधान की किताब हूँ मैं आंबेडकर का न्याय हूँ मैं नफरतो का उपाय हूँ मैं जितना पुराना हूँ हां सुनो
उससे ज़्यादा शेष हूँ हिन्दुस्तान कहते हैं मुझे
मैं गांधी का देश हूँ