बॉलीवूडचे महानायक अमिताभ बच्चन आज त्यांचा ७३ वा वाढदिवस साजरा करत आहेत. त्यानिमित्त त्यांचे काही प्रसिद्ध संवाद आम्ही तुमच्यासाठी घेऊन आलो आहोत. तुमच्याही आठवणीत कोणता संवाद असेल तर तो खालील प्रतिक्रिया बॉक्समध्ये नमूद करायला विसरू नका.
“ये तुम्हारे बाप का घर नहीं , पुलिस स्टेशन है , इस लिए सीधी तरह खड़े रहो .”जंजीर
“सौदा करना तो आपको नहीं आता , आप इस बिल्डिंग के लिए दस लाख भी ज्यादा मांग लेते , तो भी मैं खरीद लेता . यह बिल्डिंग मेरी माँ के लिए एक तोहफा है .” – दीवार
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“आज खुश तो बहुत होगे तुम …..जो आज तक तुम्हारे मंदिर की सीढियां नहीं चढ़ा ….जिसने कभी तुम्हारे सामने हाथ नहीं जोड़े वो आज तुम्हारे सामने हाथ फैलाये खड़ा है …….ये तुम्हारी जीत नहीं हार है हार ……हम घर से बेघर हो गए ……मेरा बाप जीतेजी मर गया …..मेरी माँ सुहागन होते हुए भी विधवा बनी रही ….लेकिन आज तक मैंने तुमसे कुछ नहीं माँगा ….” – दीवार
“ये देखो ये वही मैं हूँ और ये वही तुम . आज मैं कहाँ पहुच गया हूँ और तुम कहाँ हो . आज मेरे पास बिल्डिंगें हैं , गाडी है , बैंक बैलेंस है …. तुम्हारे पास क्या है …. क्या है तुम्हारे पास !!” – दीवार
“हाँ , मैं साइन करूंगा , लेकिन मैं अकेले साइन नहीं करूंगा , मैं सबसे पहले साइन नहीं करूंगा .जाओ पहले उस आदमी का साइन ले के आओ , जिसने मेरा बाप को चोर कहा था ; पहले उस आदमी का साइन ले के आओ जिसने मेरी माँ को गाली दे के नौकरी से निकल दिया था ; पहले उस आदमी का साइन ले के आओ जिसने मेरे हाथ पे ये लिख दिया था … उसके बाद , उस के बाद , मेरे भाई , तुम जहाँ कहोगे मैं वहां साइन करदूंगा .” – दीवार
“रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं , नाम है शहेंशाह .”- शहेनशाह
“सही बात को सही वक़्त पे किया जाये तो उसका मज़ा ही कुछ और है , और मैं सही वक़्त का इंतज़ार करता हूँ .”-त्रिशूल
“मैं पांच लाख का सौदा करने आया हूँ , और मेरे जेब में पांच फूटी कौड़ी भी नहीं है ! “-त्रिशूल
“जिसने पचीस साल से अपनी माँ को थोडा थोडा मरते देखा हो , उसे मौत का क्या डर ?”-त्रिशूल
“और आप , मि. आर. के. गुप्ता , आप मेरे नाजायज़ बाप हैं . मेरी माँ को आप से चाहे ज़िल्लत और बेईज्ज़ती के सिवा कुछ ना मिला हो , लेकिन मैं अपनी माँ , उसी शांति कि तरफ से आपकी सारी दौलत वापस लौटा रहा हूँ . आज आप के पास आपकी सारी दौलत सही , सब कुछ सही , लेकिन मैंने आप से ज्यादा गरीब आदमी आज तक नहीं देखा . गुड बाय , मि. आर. के. गुप्ता.”- त्रिशूल
“मूछें हों तो नथ्थूलाल जैसी वरना ना हो.” – शराबी
“गोवर्धन सेठ , समुन्दर में तैरने वाले कुओं और तालाबों में डुबकी नहीं लगाया करते हैं .”-मुक़द्दर का सिकंदर
“वक़्त कि बिसात पे किस्मत ने जो मोहरे बिछाए थे , उनका रुख पलट गया .”-कालिया
“हम जहाँ पे खड़े हो जाते हैं , लाइन वहीँ से शुरू होती है .”-कालिया
“आपने जेल की दीवारों और जंजीरों का लोहा देखा है , जेलर साहब , कालिया की हिम्मत का फौलाद नहीं देखा .”-कालिया
“बचपन से है सर पर अल्लाह का हाथ , और अल्लाह रखा है मेरे साथ , बाजू पर है सात सौ छियासी का बिल्ला , बीस नंबर की बीडी पीता हूँ , काम करता हूँ कुली का और नाम है इकबाल .”- कुली
“तुम्हारा नाम क्या है , बसंती ?”- शोले
“घड़ी – घड़ी ड्रामा करता है , साला .”- शोले
“…विजय चौहान, पूरा नाम विजय दीनानाथ चौहान , बाप का नाम , दीनानाथ चौहान , माँ का नाम , सुहासिनी चौहान , गाँव मांडवा , उम्र छत्तीस साल नौ महिना …८ दिन ..१६ घंटा चालू है ….मालूम !!! …”-अग्निपथ
” ये टेलीफोन भी अजीब चीज़ है — आदमी सोचता कुछ है , बोलता कुछ है और करता कुछ है .”-अग्निपथ
कंप्यूटर जी….लॉक किया जाए. – कौन बनेगा करोडपती
“आज खुश तो बहुत होगे तुम …..जो आज तक तुम्हारे मंदिर की सीढियां नहीं चढ़ा ….जिसने कभी तुम्हारे सामने हाथ नहीं जोड़े वो आज तुम्हारे सामने हाथ फैलाये खड़ा है …….ये तुम्हारी जीत नहीं हार है हार ……हम घर से बेघर हो गए ……मेरा बाप जीतेजी मर गया …..मेरी माँ सुहागन होते हुए भी विधवा बनी रही ….लेकिन आज तक मैंने तुमसे कुछ नहीं माँगा ….” – दीवार
“ये देखो ये वही मैं हूँ और ये वही तुम . आज मैं कहाँ पहुच गया हूँ और तुम कहाँ हो . आज मेरे पास बिल्डिंगें हैं , गाडी है , बैंक बैलेंस है …. तुम्हारे पास क्या है …. क्या है तुम्हारे पास !!” – दीवार
“हाँ , मैं साइन करूंगा , लेकिन मैं अकेले साइन नहीं करूंगा , मैं सबसे पहले साइन नहीं करूंगा .जाओ पहले उस आदमी का साइन ले के आओ , जिसने मेरा बाप को चोर कहा था ; पहले उस आदमी का साइन ले के आओ जिसने मेरी माँ को गाली दे के नौकरी से निकल दिया था ; पहले उस आदमी का साइन ले के आओ जिसने मेरे हाथ पे ये लिख दिया था … उसके बाद , उस के बाद , मेरे भाई , तुम जहाँ कहोगे मैं वहां साइन करदूंगा .” – दीवार
“रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं , नाम है शहेंशाह .”- शहेनशाह
“सही बात को सही वक़्त पे किया जाये तो उसका मज़ा ही कुछ और है , और मैं सही वक़्त का इंतज़ार करता हूँ .”-त्रिशूल
“मैं पांच लाख का सौदा करने आया हूँ , और मेरे जेब में पांच फूटी कौड़ी भी नहीं है ! “-त्रिशूल
“जिसने पचीस साल से अपनी माँ को थोडा थोडा मरते देखा हो , उसे मौत का क्या डर ?”-त्रिशूल
“और आप , मि. आर. के. गुप्ता , आप मेरे नाजायज़ बाप हैं . मेरी माँ को आप से चाहे ज़िल्लत और बेईज्ज़ती के सिवा कुछ ना मिला हो , लेकिन मैं अपनी माँ , उसी शांति कि तरफ से आपकी सारी दौलत वापस लौटा रहा हूँ . आज आप के पास आपकी सारी दौलत सही , सब कुछ सही , लेकिन मैंने आप से ज्यादा गरीब आदमी आज तक नहीं देखा . गुड बाय , मि. आर. के. गुप्ता.”- त्रिशूल
“मूछें हों तो नथ्थूलाल जैसी वरना ना हो.” – शराबी
“गोवर्धन सेठ , समुन्दर में तैरने वाले कुओं और तालाबों में डुबकी नहीं लगाया करते हैं .”-मुक़द्दर का सिकंदर
“वक़्त कि बिसात पे किस्मत ने जो मोहरे बिछाए थे , उनका रुख पलट गया .”-कालिया
“हम जहाँ पे खड़े हो जाते हैं , लाइन वहीँ से शुरू होती है .”-कालिया
“आपने जेल की दीवारों और जंजीरों का लोहा देखा है , जेलर साहब , कालिया की हिम्मत का फौलाद नहीं देखा .”-कालिया
“बचपन से है सर पर अल्लाह का हाथ , और अल्लाह रखा है मेरे साथ , बाजू पर है सात सौ छियासी का बिल्ला , बीस नंबर की बीडी पीता हूँ , काम करता हूँ कुली का और नाम है इकबाल .”- कुली
“तुम्हारा नाम क्या है , बसंती ?”- शोले
“घड़ी – घड़ी ड्रामा करता है , साला .”- शोले
“…विजय चौहान, पूरा नाम विजय दीनानाथ चौहान , बाप का नाम , दीनानाथ चौहान , माँ का नाम , सुहासिनी चौहान , गाँव मांडवा , उम्र छत्तीस साल नौ महिना …८ दिन ..१६ घंटा चालू है ….मालूम !!! …”-अग्निपथ
” ये टेलीफोन भी अजीब चीज़ है — आदमी सोचता कुछ है , बोलता कुछ है और करता कुछ है .”-अग्निपथ
कंप्यूटर जी….लॉक किया जाए. – कौन बनेगा करोडपती